Insect control
Monitoring and Mass Trapping: Install 25 yellow and 25 blue sticky traps for mass trapping, regularly monitor for aphid pest incidence and undertake following control measure if ETL of 5-10 aphids per leaf or per shoot is crossed.
Bio-Control Measure:
Aphids | Bio-control: First spray of Neem oil (1500/10000ppm) @ 300 ml/acre and Second spray of Lecanicillium lecanii @ 800 ml/acre in 200 lit. of water. |
*Chemical control: Foliar spray with Spirotetramat 150 OD@ 200 ml/acre or Imidacloprid 17.8% SL @10 gm/acre in 200 lit. of water. |
Disease control
Downy Mildew | *Chemical control: Foliar spray with Metalaxy 8% + Mancozeb 64% @500gm/acre in 200 lit. of water. |
Wilt | *Bio-Control: Drenching of Trichoderma viride @ 600 ml/acre. |
*Farmers registered for organic cultivation should not apply chemical control measures
Source: Department of Agriculture, Nagaur; Department of Agriculture, Jodhpur& ICAR-Directorate of Medicinal & Aromatic Plants Research, Anand
ईसबगोल की खेती किसानों के लिए खास जानकारी
बुवाई के पूर्व
खेत की तैयारी: मिट्टी की गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए अच्छी तरह घुला हुआ गोबरखाद 10 टन प्रति हेक्टर की दर से इस्तेमाल करें।
बुवाई का समय: बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय नवंबर के मध्य तक होता है और आदर्श तापमान 20 से 25 अंश सैल्सियस होता है।
प्रजातियां और बीज दर:2 किलोग्राम प्रति एकर की दर से हमेशा अच्छी गुणवत्ता वाले RI-1, RI-89, GI-1, GI-3 और हरियाणा ईसबगोल-5 बीज का उपयोग करें।
बीज प्रक्रियाः बीज प्रक्रिया अजोटोबेक्टर 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या मेटालैक्सिल ;एप्रन एसडीद्ध 5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपयोग करें।
बुवाई से अंकुरण तक
रासायनिक खादः उर्वरक खुराक 30:25:00 किलोग्राम नत्र, स्फुरत, पलाश प्रति एकर की दर से इस्तेमाल करें। नत्रजन उर्वरकों को लगाते समय आधी खुराक बुवाई के समय लगानी चाहिए और बुवाई के 30 दिन बाद शेष इस्तेमाल करें।
खरपतवार प्रबंधनः पहली निराई बुआई के 20 दिन बाद और दूसरी निराई बुआई के 40-50 दिन बाद करनी चाहिए। किसानों को सलाह दी जाती है कि बुआई के 15 दिन बाद आइसोप्रोटुरोन 75 प्रतिशत डब्ल्यूपी 240 ग्राम प्रति एकर की दर से खरपतवार नाशक छिड़काव करें।
पौधें का विकासः बुआई के 40.50 दिन बाद एम्बिशन/500 मि.ली. प्रति एकर या पेप्टो 600 मि.ली. प्रति एकर की दर से छिड़काव करे। पोषक तत्वों की दक्षता का प्रबंधन, पौधें की रक्षा तंत्र में सुधार और फसल के प्रदर्शन को बढ़ाकर फसलों को उनकी वास्तविक क्षमता तक पहुंचने में मदद करता है।
सूक्ष्म पोषक तत्वों: बुआई के 55.70 दिन बाद फसल की अच्छी बढ़वार और गुणवत्ता बढ़ने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों ;माइक्रो फूडद्ध 600 मि.ली प्रति एकर के हिसाब से छिड़काव करे|
फसल रोपाई के बाद की कार्यनीतियां
कीटों का नियंत्रण
मॉनिटरिंग और मास ट्रैपिंगः बड़े पैमाने पर फँसाने के लिए 25 पीले और 25 नीले चिपचिपे जाल स्थापित करें, नियमित रूप से मोयला की निगरानी करें और यदि 5-10 मोयला प्रति पत्ती या ईटीएल को पार किया जाता है तो नियंत्रण उपाय का पालन करें।
मोयला
जैव-नियंत्राणः नीम के तेल 1500/10000 पीपीएम का पहला छिड़काव 300 मिली प्रति एकर के हिसाब से 200 लीटर पानी के साथ और लेकेनिसिलियम लेकानी 800 मिली प्रति एकर के हिसाब से 200 लीटर पानी में मोयला और थ्रिप्स नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
रासायनिक नियंत्रणः स्पैरोटेट्रामेट 150 ओ डी/200 मि.ली. प्रति एकर या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल 10 ग्राम प्रति एकर के हिसाब से 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करे|
रोग नियंत्रण
तुलासीता रोग : सरासायनिक नियंत्रणः मेटालैक्सिल 8 प्रतिशत + मैनकोजेब 64 प्रतिशत 500 ग्राम प्रति एकर के हिसाब से 200 लीटर पानी की दर से छिड़काव करें
उकठा रोग
जैव-नियंत्राणः ट्राइकोडर्मा विरीडी 600 मि.ली. प्रति एकर के हिसाब 200 लीटर पानी के साथ फव्वारा या ड्रिप में करे|
फसल कटाई के बाद की कार्यनीतियां